(AI EDITING PHOTO)
✍️ लेखक: शुभ्रज्योति माजि
फरीदाबाद, हरियाणा – जब हम सोचते हैं कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सुधार हो रहा है, तभी कोई ऐसी घटना सामने आ जाती है जो दिल को झकझोर देती है। तन्नू राजपूत, एक 25 साल की नवविवाहिता, जिसे अपनी ससुराल से सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए था — वहीं उसकी जान ले ली गई।
गुमशुदा नहीं, बल्कि छुपाई गई लाश थी
अप्रैल के आखिर में तन्नू के लापता होने की खबर आई। उसके पति ने पुलिस को बताया कि वह मानसिक रूप से अस्थिर थी और खुद ही घर छोड़कर चली गई। लेकिन लड़की के पिता को कुछ ठीक नहीं लगा। घर के सामने हाल ही में भरा गया एक गड्ढा लगातार उनकी नजर में आ रहा था।
जब पुलिस ने खुदाई शुरू की, तब सच्चाई सामने आई — उसी गड्ढे में तन्नू की लाश दबाकर रखी गई थी। शरीर की हालत खराब हो चुकी थी, लेकिन उसके कपड़े देखकर परिवार वालों ने पहचान लिया।
पूरी प्लानिंग थी, खून को छिपाने की
तन्नू की ससुराल वालों ने आस-पड़ोस को बताया था कि घर के बाहर जलभराव रोकने के लिए "सोखता" बनाया जा रहा है। लेकिन असलियत में, उसी गड्ढे को कब्र बनाया गया। रात को, जब सब सो गए थे, तब जेसीबी मशीन से उसकी लाश को दफना दिया गया — ताकि कोई मज़दूर न लगे और राज घर में ही बना रहे।
एक बेटी की मौत नहीं, समाज की चुप्पी की हार है
यह घटना सिर्फ एक लड़की की हत्या नहीं है — यह हमारी सामाजिक चुप्पी और संवेदनहीनता की हार है। कितनी ही तन्नू हमारे आस-पास होंगी, जो अत्याचार झेल रही हैं लेकिन आवाज नहीं उठा पा रहीं। अगर एक लड़की अपने ही घर में सुरक्षित न हो, तो कहां हो पाएगी?
एक सवाल... जो हर इंसान को खुद से पूछना चाहिए
सबसे दुखद बात ये है कि इस अपराध में पूरा परिवार शामिल था। सोचिए, कैसे कोई इंसान इतनी बेरहमी से किसी की जान ले सकता है — और फिर महीनों तक दुनिया से झूठ बोल सकता है?
ज़रूरत है कानून और इंसानियत दोनों की
हमारी मांग है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले। लेकिन साथ ही, समाज को भी अपनी सोच बदलनी होगी। हर घर में अगर कोई तन्नू तकलीफ में है, तो उसकी आवाज़ दबाने के बजाय उसे सहारा मिलना चाहिए। तभी सच्चा न्याय होगा।

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